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हनोल मंदिर में जागड़ा मेले का शुभारंभ, देव दर्शन के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब

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हनोल मंदिर में जागड़ा मेले का शुभारंभ, देव दर्शन के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब

हनोल मंदिर में देव दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी है। रात तक श्रद्धालुओं की संख्या और अधिक बढ़ने की संभावना है।

देहरादून के विकासनगर में सीमांत तहसील क्षेत्र स्थित हनोल मंदिर में राजकीय मेला जागड़ा शुरू हो गया है। मंदिर में रात लगाने (रात्रि जागरण) के लिए जौनसार बावर, सीमांत हिमाचल प्रदेश, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, देहरादून से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

श्रद्धालु देव दर्शन कर रात लगाने के लिए मंदिर परिसर में बैठे। हनोल मंदिर में देव दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी है। रात तक श्रद्धालुओं की संख्या और अधिक बढ़ने की संभावना है। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में दर्शन के लिए पहुंची हैं। पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज भी मेले में पहुंचे।

पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 120 करोड़ से हनोल मंदिर को मास्टर प्लान के तहत विकसित किया जाएगा। क्षेत्रीय ग्रामीणों को इससे रोजगार मिलेगा। यहां होटल उद्योग बड़े पैमाने पर आने वाला है। सरकार ने मेले का लाइव टेलीकास्ट कराया। इससे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए दो समय के भोजन की व्यवस्था की जानी चाहिए।

जौनसार बावर भी महाभारत की घटनाओं से आच्छादित है। यहां लाक्षागृह के रूप में लाखामंडल का उल्लेख मिलता है। इसे भी महाभारत सर्किट में शामिल किया जाएगा। मैं जब रेल राज्य मंत्री था तो पहाड़ तक रेल पहुंचाने की योजना बनाई थी। आज ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन से पहाड़ तक रेल पहुंच रही है। रेल के रूप में पहाड़ में लक्ष्मी आ रही है।

पहाड़ के पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा देना चाहिए। झंगोरे की खीर को शाही भोजन के रूप में पहचान मिल रही। लोग मंडुआ नहीं खाते थे, बोलते थे यह काला अनाज है। लेकिन आज वही झंगोरा घर – घर में खाया जा रहा। पर्यटन को बढ़ाएं, अथिति सत्कार को बढ़ाएं, यह हमारी पहचान है। हमें आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है।