निजमुला घाटी स्थित दुर्मी-गौणा ताल (बिरही ताल) के पुर्ननिर्माण को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने सोमवार को क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने कहा कि भूगर्भीय सर्वेक्षण के बाद दुर्मीताल के पुर्ननिर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार कर शीघ्र शासन को भेजा जाएगा। विदित हो कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श त्रिवेन्द्र सिंह रावत दुर्मी-गौण ताल को पुर्नजीवित करने की व्यक्तिगत इच्छा जाहिर कर चुके है। उन्होंने क्षेत्रवासियों के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए भरोसा दिलाया है कि इस ताल को पुर्नजीवित करने के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था भी की जाएगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया गया है और शीघ्र ही यहां का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने के बाद दुर्मीताल के पुर्नजीवित करने के लिए प्रोजक्ट तैयार कर शासन को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने ने कहा कि दुर्मीताल को पुर्नजीवित करने से पहले यहाॅ पर तत्काल जो काम हो सकते है, उनको शुरू कराया जाएगा। इसमें ट्रैक मार्ग का सौन्दर्यीकरण, म्यूजियम निर्माण और साइट डेवलपमेंट के तहत कैपिंग साईट, व्यूप्वाइंट बनाने का काम शीघ्र शुरू किया जाएगा। कहा कि भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने के बाद प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि दुर्मी-गौणा ताल एक सुन्दर पर्यटन स्थल बन सकता है और यहां पर्यटन की आपार सभावनाएं है। इस क्षेत्र के आसपास लाॅर्ड कर्जन ट्रैक, क्वारीपास, सप्तकुंड, तडाग ताल जुड़े है। यहाॅ से नदंा घुघंटी एवं त्रिशूल पर्वत का सुदंर नजार भी दिखता है और दुर्मी-गौणा ताल के असत्वि में आने से इस क्षेत्र को भरपूर लाभ मिलेगा।
इस दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट ने कहा कि दुर्मी-गौणा ताल को एक पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जा सकता है। प्रधान संगठन के अध्यक्ष मोहन सिंह नेगी ने कहा कि दुर्मी ताल के असतित्व में आने से हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है। जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दुर्मीताल को पुर्नजीवित करने के लिए क्षेत्रवासियों के प्रस्ताव को स्वीकार किया है। इसके लिए क्षेत्र की जनता उनका आभार व्यक्त करती है।
इस दौरान जिलाधिकारी ने निजमुला-गौणा-पाणा-ईराणी मोटर मार्ग के निर्माण कार्यो का स्थलीय निरीक्षण भी किया। उन्होंने मोटर मार्ग पर पुल एवं अन्य निर्माण कार्यो को शीघ्र पूरा कराने, भेकडा गेदेरे में क्षतिग्रस्त पुल का ध्वस्तीकरण कर नीलामी करने, मोटर मार्ग पर स्वीकृत पुलों का शीघ्र निर्माण शुरू कराते हुए मोटर मार्ग के निर्माण कार्यो में तेजी लाने के निर्देश ईई पीएमजीएसवाई को दिए। साथ ही उप जिलाधिकारी को 30 सितंबर को क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा। इस दौरान जिलाधिकारी ने राजकीय जूनियर हाईस्कूल दुर्मी का निरीक्षण भी किया और विद्यालय भवन की छत की मरम्मत हेतु प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा। स्कूल में कम्प्यूटर की सुविधा न होने पर जिलाधिकारी ने कहा की जल्द ही स्कूल को दो कम्प्यूटर उपलब्ध कराए जाएंगे। इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी हंसादत्त पांडे एवं अन्य जिला स्तरीय अधिकारी भी मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि सीमांत जनपद चमोली में बिरही से लगभग 18 किमी दूर निजमुला घाटी में प्राकृतिक रूप से बेहद सुन्दर नयनाभिराम दुर्मीताल स्थित था। जहाँ पर लोग ताल की सुन्दरता का लुत्फ उठाने जाया करते थे। यह पांच मील लंबा, एक मील चैड़ा और तीन सौ फुट गहरा एक विशाल ताल था। ताल के ऊपरी हिस्से में त्रिशूल पर्वत की शाखा कुंवारी पर्वत से निकलने वाली बिरही समेत अन्य छोटी-बड़ी चार नदियों के पानी से ताल में पानी भरता रहता था। इस ताल के एक कोने पर गौणा गांव और दूसरे कोने पर दुर्मी गांव बसा है। इसलिए इसे गौणा ताल या दुर्मी ताल कहा जाता था। बिरही से ही इस घाटी को सड़क जाती है इसलिए बाहर से आने वाले इसे बिरही ताल भी कहते थे। इसमें करीब 15 करोड़ घन मीटर पानी था। लेकिन 20 जुलाई 1970 को नंदा घुंघटी पर्वत पर भारी बारिश और बादल फटने से पर्वत से आए भारी मलवे के कारण दुर्मी ताल टूट गया था। गौणा ताल ने उस दिन बहुत बड़े प्रलय को अपनी गहराई में समाकर उसका छोटा-सा अंश ही बाहर फेंका था। ताल टूटने के बाद भारी मात्रा में पानी बिरही की संकरी घाटी से होते हुए चमोली, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, ऋषिकेश और हरिद्वार की ओर बढा और अलकनंदा घाटी में खेती और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ था।
प्राकृतिक रूप से निर्मित यह ताल पहले देशी विदेशी पर्यटकों के खासे आकर्षण का केंद्र रहा है। अंग्रेजों के जमाने में इस ताल में नौकाएं चलती थी। इसके चलते स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता था। आज भी नौकाओं के अवशेष यहाॅ माॅजूद है। क्षेत्रवासी लंबे समय से दुर्मीताल के पुनर्जीवित करने की मांग करते आ रहे है। अब इस तालाब को पुनर्जीवित कर बहुउदेशीय तालाब के रूप में विकसित करने की मांग जोर पकडने लगी है। इससे नौकायन, मत्स्य पालन, विद्युत उत्पादन और साहसिक पर्यटन के जरिए स्थानीय लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही अपितु यह प्रदेश की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाने में सहायक होगा। तालाब में भरे मलवे को निकाल कर फिर से इस प्राकृतिक तालाब को बनाने की पहल शुरू हो गई है। घाटी के लोग इस ताल को पुनः विकसित कर इसे पर्यटन मानचित्र पर लाने की मांग करते आ रहे है। सप्तकुंड ट्रैक से लेकर लार्ड कर्जन रोड के अलावा यहाँ पर्यटन की असीमित संभावनाएं है। ताल के पुनर्जीवित होने से एक बार फिर से ये घाटी पर्यटन का केन्द्र बनेगी। बिरही घाटी में गौणा ताल, सप्तताल, तड़ाग ताल, लार्ड कर्जन रोड, पीपलकोटी-किरूली-पंछूला-गौणा-गौणाडांडा- रामणी ट्रैक पर्यटकों का खासे आकर्षकण का केद्र रहा है। इस ताल के अस्तित्व में आने से यह पूरी दुनिया के सैलानियों का प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगा और घाटी की खोई रौनक भी वापस लौटेगी।
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