7 फरवरी को आई प्राकृतिक आपदा को एक महीना होने वाला है लेकिन इस आपदा ने एक बार फिर से चमोली प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है यह आपदा से निपटने के लिए प्रशासन के पास कोई भी पुख्ता इंतजाम नहीं है अगर आपदा के दौरान कोई व्यक्ति लापता हो जाता है तो उसकी ढूंढ खोज के लिए भी प्रशासन के पास ना तो मेन पावर उपलब्ध है और ना ही कोई आधुनिक मशीनें ,
7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने के बाद रैणी के पास ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में भारी तबाही मची थी यहां लगभग 46 से अधिक व्यक्ति लापता हो गए थे जिसमें से कुछ लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं लेकिन कुछ अभी भी लापता हैं ।
लापता लोगों की ढूंढ खोज में प्रशासन पूर्ण तरीके से नाकाम साबित होता हुआ नजर आ रहा है अगर कहा जाए तो प्रशासन ने रैणी में लापता लोगों को ढूंढने का प्रयास ही नहीं किया गया यह भी ग़लत नहीं है
यहां पिछले कई दिनों से एक भी व्यक्ति के शव बरामद नहीं किए गए जिससे लग रहा है कि प्रशासन की ओर से सर्च ऑपरेशन को बंद ही कर दिया गया है
अतुल सती ने बताया कि प्रशासन पहले ही इस पूरे मामले में फेल नजर आया और अब तो प्रशासन ने आपदा के सामने हथियार डाल दिए हैं जो लोग लापता हैं उनकी ढूंढ खोज नहीं की जा रही है ।
प्रशासन ने सब लापता लोगों को मृत घोषित कर दिया है लेकिन लोगों को अभी भी अपने मृतक व्यक्तियों शव का इंतजार है लेकिन प्रशासन की ओर से सर्च ऑपरेशन में की जा रही है देरी के बाद लोगों की उम्मीदें भी टूट चुकी चुकी है
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