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कैंची धाम के पास सुरंग बनाने की योजना को झटका, वैकल्पिक मार्ग की संभावना तलाशी जा रही

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कैंची धाम के पास सुरंग बनाने की योजना को झटका, वैकल्पिक मार्ग की संभावना तलाशी जा रही

कैंची धाम में लगातार दर्शन करने वालों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही मंदिर के पास गुजरने वाले भवाली-अल्मोड़ा मार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ा है। ऐसे में एनएच जाम से निपटने के लिए संभावना तलाश रहा था।नैनीताल जिले में कैंची धाम के पास सुरंग बनाने की योजना को झटका लगा है। राष्ट्रीय राजमार्ग जाम से निपटने के लिए मंदिर से कुछ पहले एक सुरंग बनाकर वैकल्पिक मार्ग की संभावना को तलाश रहा था। लेकिन, जहां पर सुरंग बननी है वहां पर चट्टानों के कमजोर होने समेत अन्य कारणों के चलते योजना पर आगे बढ़ने की संभावना नहीं है।

अब कैंची के पास ही हरतपा इलाके से होकर जा रही सड़क को ही विस्तार देकर अन्य विकल्प को देखा जा रहा है। भवाली स्थित कैंची धाम में दर्शन करने वालों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही मंदिर के पास गुजरने वाले भवाली-अल्मोड़ा मार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ा है। ऐसे में मंदिर से पहले एक सुरंग के जरिये समानांतर एक और मार्ग का विकल्प बनाने का फैसला किया गया, जो कि आगे भवाली-अल्मोड़ा मार्ग पर मिलता

ऐसे में जिसे सीधे जाना होता तो वह सुरंग से निकल जाता, पर इस संभावना को झटका लगा है। एनएच के अधिकारियों के अनुसार जहां पर टनल बनाने की योजना है, वहां के पहाड़ कमजोर हैं। इसके अलावा टनल का दूसरा सिरा भवाली-अल्मोड़ा मार्ग पर खुल रहा है, वह भी जाम के इलाके में आता है। ऐसे में योजना को फिलहाल आगे प्रगति होने की संभावना कम है।

हरतपा गांव को जाने वाले मार्ग पर टिकी आस
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री अजय टम्टा कहते हैं कि टनल बनाना संभव नहीं हो रहा है। अन्य विकल्प को देखा जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य अभियंता दयानंद कहते हैं कि जहां पर टनल बनना है, वहां के पहाड़ काफी फरजाइल हैं। ऐसे में टनल बनाना मुश्किल है। वहीं, कैंची के पास हरतपा इलाके में पांच किमी की सड़क बना रहा है। इस सड़क को सात किमी और आगे विस्तारित कर दिया जाए तो यह अल्मोड़ा-भवाली मार्ग पर रातीघाट के पास मिल जाएगा।

लोनिवि इस संभावना को लेकर काम कर रहा है। ऐसे में मार्ग का एक विकल्प मिल सकता है। लोनिवि नदी की दूसरी तरफ से भी एक अन्य वैकल्पिक मार्ग बनाने का काम कर रहा है। ऐसे में इन विकल्पों को लेकर अधिकारियों की आस टिकी हुई है।