देहरादून: हमेशा सुर्खियों में रहने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ने जा रहे हैं। बीते दिन उन्होंने ईडी दफ्तर के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
वहीं वो आज फिर खबरों में है। जी हां फेमस केस कॉर्बेट पार्क के कालागढ़ डिवीजन के पाखरों रेंज में टाइगर सफारी के नाम पर करोड़ों रुपये बर्बाद करने, विवादित डीएफओ किशन चंद की तैनाती, अंधाधुंध पेड़ काटने और अवैध निर्माण को लेकर CBI ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत से पूछताछ की है। घंटों चली पूछताछ में सीबीआइ ने हरक सिंह से कई सवाल पूछे। उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रकरण की जांच कर रही सीबीआइ ने हरक सिंह को पहली बार पूछताछ के लिए बुलाया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर वर्ष 2022 में विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच के बाद विजिलेंस ने एक आरोपित बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया और इसके बाद 24 दिसंबर 2022 को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपितों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में विजिलेंस न्यायालय में आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है। उच्च न्यायालय के आदेश पर अक्टूबर 2023 में मामला सीबीआइ को ट्रांसफर किया गया। सीबीआइ की ओर से तमाम जांच रिपोर्ट हासिल करने के बाद अब प्रकरण में जिन आरोपितों का नाम से सामने आया है, उनसे पूछताछ करनी शुरू कर दी है।
पाखरो में टाइगर सफारी के लिए पेड़ों के अवैध कटान का मामला तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इस संबंध में मिली शिकायत की स्थलीय जांच की। साथ ही शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की। इस प्रकरण की अब तक कई एजेंसियां जांच कर चुकी हैं। ये बात सामने आई कि सफारी के लिए स्वीकृति से अधिक पेड़ों के कटान के साथ ही बड़े पैमाने पर बिना वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति के निर्माण कराए गए। सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस प्रकरण में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर भी प्रश्न उठाते हुए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की जांच में यहां छह हजार से ज्यादा पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। मपाने में से आइफएस भी निलंबित किए गए थे