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उत्तराखंड: केदारनाथ में जापानी तकनीक से बन रहा सीवेज प्लांट, मंदाकिनी को स्वच्छ व निर्मल बनाने में मिलेगी मदद

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उत्तराखंड: केदारनाथ में जापानी तकनीक से बन रहा सीवेज प्लांट, मंदाकिनी को स्वच्छ व निर्मल बनाने में मिलेगी मदद

भारत सरकार के नमामि गंगे परियोजना के तहत वर्ष 2022 में केदारनाथ, गौरीकुंड और तिलवाड़ा में सीवरेज प्लांट का निर्माण हो रहा है।

केदारनाथ में बेस कैंप से कुछ आगे सीवरेज प्लांट का निर्माण आठ करोड़ की लागत से हो रहा है।केदारनाथ व स्वच्छ व निर्मल बनाने के लिए 622 किलो लीटर प्रतिदिन शोधन क्षमता का सीवरेज प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। मास्टर प्लान से बनाए जा रहे इस एसटीपी में केदारपुरी से निकलने वाले अपशिष्ट व गंदे पानी का शोधन होगा। साथ ही गौरीकुंड में भी 222 और तिलवाड़ा में 100 किलो लीटर प्रतिदिन क्षमता का सीवरेज प्लांट बनाया जा रहा है।जापानी तकनीक से बनने वाले इन प्लांट के निर्माण की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग और पेयजल निगम को सौंपी गई है।

भारत सरकार के नमामि गंगे परियोजना के तहत वर्ष 2022 में केदारनाथ, गौरीकुंड और तिलवाड़ा में सीवरेज प्लांट का निर्माण हो रहा है।केदारनाथ में बेस कैंप से कुछ आगे सीवरेज प्लांट का निर्माण आठ करोड़ की लागत से हो रहा है। मंदिर क्षेत्र से प्लांट तक करीब तीन किमी सीवर लाइन बिछाई जाएगी। जिसमें केदारपुरी के सभी आवासीय व व्यवसायिक भवनों को जोड़ा जाएगा। कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता विनय झिक्वांण ने बताया सीवरेज प्लांट का कार्य 55 फीसदी हो चुका है।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण जोरों पर
दूसरी तरफ केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में 222 किलो लीटर प्रतिदिन शोधन क्षमता का सीवरेज प्लांट बन हा है। इस प्लांट के साथ-साथ यहां महिला व पुरुष शौचालयों का भी निर्माण किया जाएगा। पूरे गौरीकुंड के व्यवसायिक व निजी भवनों को प्लांट से जोड़ने के लिए 500 मीटर सीवर लाइन बिछानी जा रही है, जिसका 90 फीसदी से अधिक काम हो चुका है।

इसके अलावा रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर तिलवाड़ा में 100 किलो लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण जोरों पर चल रहा है। कार्यदायी संस्था पेयजल निगम के परियोजना निदेशक रवींद्र गंगाड़ी ने बताया कि गौरीकुंड और तिलवाड़ा में कुल 322 किलो लीटर प्रतिदिन क्षमता का सीवरेज प्लांट बनाया जा रहा है। इन दोनों प्लांट के निर्माण पर 23 करोड़ से अधिक खर्च होंगे। निर्माण के बाद अगले 15 वर्ष तक दोनों प्लांट की देखरेख की जिम्मेदारी भी कार्यदायी संस्था की होगी।