धामी सरकार दें सकती हैं देहरादून की मलिन बस्तियों को राहत सूत्रों की माने तो 2016 के बाद बनी बस्तियों को बसाने के लिए सरकार कर सकती हैं अध्यादेश में संशोधन सूत्रों की माने तो 2016 की कट ऑफ़ डेट को आगे बढाकर सरकार 2022 कर सकती हैं जिससे काफ़ी हद तक उन तमाम मलिन बस्ती वालों को राहत मिल जाएगी जो इस समय अतिक्रमण हटाओ अभियान के अंतर्गत आते हैं सूत्रों की मानें तो जल्द ही सरकार ये फैसला लाने वाली हैं इसलिए तमाम ऐजेंसी को संकेत दें दिए लगते हैं इसलिए कुछ कार्यवाई होने के बाद बुलडोजर शहर में गरजता नहीं दिखा
हालांकि सरकार तो जो कर रही हैं करेगी लेकिन नगर निगम की अधूरी रिपोर्ट ने बढ़ाई मलिन बस्ती के लोगों की मुश्किलनगर निगम ने 525 अतिक्रमण चिह्नित कर रिपोर्ट एनजीटी में सौंपकर अपना पल्ला झाड़ लिया, लेकिन इससे मलिन बस्तियों के लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं। दोबारा हुई जांच में कई अतिक्रमण कार्रवाई के दायरे से बाहर हो चुके हैं। इससे साफ है कि मलिन बस्ती में अतिक्रमण चिह्नित करने और उन पर कार्रवाई करने में जल्दबाजी की गई है।
रिस्पना किनारे मलिन बस्तियों के चिह्निकरण के लिए एनजीटी ने सख्त आदेश दिए थे और मामले में डीएम से लेकर प्रमुख सचिव तक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया था। इसके बाद निगम ने टीमें बनाकर सर्वे कर 27 बस्तियों में 525 अतिक्रमण चिह्नित कर अपनी रिपोर्ट एनजीटी में सौंप दी। इनमें 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर, 413 एमडीडीए की भूमि पर और करीब 12 मसूरी नगर पालिका क्षेत्र में पाए गए थे। निगम ने 89 अतिक्रमण के संबंध में संबंधित लोगों से आपत्तियां मांगी थी। लोगों ने अपने कागजात जमा कराने शुरू किए तो निगम को भी बैकफुट पर आना पड़ा और निगम अपनी ही रिपोर्ट को बदलने के लिए मजबूर हो गया। पहले 89 अतिक्रमण पर कार्रवाई होनी थी जांच के बाद वह घटकर 74 रह गए। इसके बाद निगम ने 54 अतिक्रमण पर कार्रवाई की और 20 पर कार्रवाई बाकी रह गई।
अब इन 20 की दोबारा जांच हुई तो बुधवार रात तक 10 चिह्नित अतिक्रमण कार्रवाई के दायरे से बाहर हो गए। कुल चिह्नित अतिक्रमण 525 हैं।मलिन बस्ती के लोगों का कहना है कि सही से जांच हुई तो सौ से अधिक अतिक्रमण ऐसे मिल सकते हैं जो नगर निगम ने गलत चिह्नित किए हैं।