हल्द्वानी हिंसा के बाद 16 दिन तक अंडरग्राउंड रहने के बाद गिरफ्तार हुए अब्दुल मलिक ने अब अलग ही दावा कर दिया है। अब्दुल मलिक की ओर से कहा गया है कि 7 और 8 फरवरी को वह दिल्ली और नोएडा में था।हल्द्वानी हिंसा के बाद 16 दिन तक अंडरग्राउंड रहने के बाद गिरफ्तार हुए अब्दुल मलिक ने अब अलग ही दावा कर दिया है।वनभूलपुरा में 8 फरवरी को हुई हिंसा में पुलिस की ओर से मास्टरमाइंड बताए जा रहे अब्दुल मलिक का कहना है कि वह उस दिन हल्द्वानी में मौजूद ही नहीं था। मलिक की ओर से एक लेटर उत्तराखंड के डीजीपी को दिया गया है।
इसकी कॉपी नैनीताल की डीएम और एसएसपी को भी दी गई है। मलिक का दावा है कि 7 और 8 फरवरी को वह नोएडा और दिल्ली में मौजूद था और इस दौरान उसने कई नेताओं से भी मुलाकात की थी।एक रिपोर्ट के मुताबिक मलिक के एक
प्रतिनिधि ने अधिकारियों को जाकर लेटर सौंपा है, जिसमें
7-8 तारीख का ब्योरा दिया गया है कि मलिक कब कहां था
और किससे मुलाकात की। लेटर में कहा गया है कि 7 फरवरी
को मलिक और उसका ड्राइवर करीब तीन घंटे तक नोएडा
के एक फाइव स्टार होटल के रेस्टोरेंट में था। बिजनेस मीटिंग
के सिलसिले में होटल पहुंचने का दावा किया गया है। इसके
बाद शाम करीब 5 बजे अपने वकील सुधीर तिवारी से
मुलाकात की। इसके बाद तिवारी और मलिक सेक्टर 31 में
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील के घर पहुंचे और करीब एक घंटे
रहे। दावे के मुताबिक मलिक और उसका ड्राइवर रेस्टोरेंट में
खाना खाने के बाद रात को दिल्ली के एक होटल में ठहरे।लेटर में कहा गया है कि अगले दिन 8 फरवरी को करीब 12:30 बजे मलिक तिवारी के साथ नोएडा में भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद बलबीर पुंज से मिलने पहुंचे।
तिवारी की बेटी की शादी का कार्ड देने भाजपा नेता के पास पहुंचे थे। पुंज ने अयोध्या पर लिखी अपनी एक किताब भी दी। दावा है कि तिवारी और मलिक इसके बाद कांग्रेस के पू सांसद से नई दिल्ली में मिले। लेटर में यह भी दावा किया गया है कि करीब 3 बजे वे एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के घर गए। इसेक बाद तिवारी और मलिक ने नोएडा के रेडिशन होटल में रात का खाना खाया। मलिक तिवारी को लेकर ग्रेटर नोएडा गया। वहां आधे घंटा रहा और फिर फरीदाबाद में बेटी के आवास चला गया, जहां रातभर रहा।बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने फोन पर बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि मलिक और उसका बेटा तिवारी के साथ 8 फरवरी को नोएडा में उनके आवास पर आए थे। वे करीब 12:15 पर आए थे और करीब 45 मिनट रहे। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके पास आने से पहले और बाद में वे कहां गए यह जानकारी उन्हें नहीं है।
उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा, ‘यह मेरे संज्ञान में लाया गया है। हमने इसका संज्ञान लिया है और जिले में इस निर्देश के साथ भेजा है कि जो भी दावा किया जा रहा है उसकी ठीक से जांच की जानी चाहिए। यदि आरोपी अपने पक्ष में कोई आवेदन दे रहा है तो उसकी जांच करना हमारा कर्तव्य है। पहले हम लेटर की सत्यता की पुष्टि करेंगे और फिर इसमें दिए गए तथ्यों की जांच करेंगे।’