उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट पर्व पर बुधवार की दोपहर 12: 01 बजे बंद हो गए। इस अवसर पर तीर्थ यात्रियों की भीड़ उमड़ी। साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु भी पहुंचे हैं। इस कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री के जवान सेना के बैंड के साथ मौजूद हैं। अब कपाट बंद होने के बाद देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास मुखीमठ (मुखबा) में कर सकेंगे।
वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज पर 27 अक्टूबर को दोपहर 12: 09 बजे बंद होंगे। यमुना की डोली लेने के लिए खरशाली गांव से शनि महाराज की डोली 27 अक्टूबर की सुबह यमुनोत्री पहुंचेगी। शीतकाल में यमुना के दर्शन खरशाली स्थित यमुना मंदिर में होंगे।
उधर, द्वादश ज्योर्तिलिंगों में शामिल भगवान केदारनाथ के कपाट 27 अक्टूबर यानी भैयादूज पर्व पर सुबह साढ़े आठ बजे वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक परंपराओं के साथ विधिविधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
कपाट बंद होने के बाद भगवान की पंचमुखी उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए प्रथम पड़ाव फाटा, 28 अक्टूबर को भोले बाबा की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी तथा 29 अक्टूबर को पंचगद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। शीतकाल के छह माह तक यहीं पर भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजाएं व भक्त दर्शन कर सकेंगे।
वहीं, गौरीकुंड स्थित मां गौरा माई के कपाट भी इसी दिन शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद करने को लेकर मंदिर समिति ने तैयारी शुरू कर दी है। केदारनाथ में अब तक 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए, जबकि गंगोत्री धाम में इस सीजन में 6.12 लाख, जबकि यमुनोत्री धाम में 4.78 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं, जोकि रिकार्ड है।
27 अक्टूबर को गंगा की डोली मुखवा के लिए पहुंचेगी। यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष राजस्वरूप उनियाल ने बताया कि 27 अक्टूबर को भैया दूज पर दोपहर 12:09 बजे यमुनोत्री धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
गंगोत्री धाम में कपाट बंद होने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। सभी तीर्थ पुरोहित भी गंगोत्री धाम पहुंच चुके थे। गंगोत्री धाम में अधिकांश व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान शीतकाल के लिए बंद कर दिए हैं।
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि अन्नकूट पर्व पर बुधवार की सुबह 10: 15 बजे मां गंगा के मुकुट को उतारा गया। उसके बाद निर्वाण दर्शन किए गए। वेद मंत्रों के साथ मां की मूर्ति का महाभिषेक किया गया।
उसके बाद 12: 01 बजे अमृत बेला पर कपाट बंद कर दिए गए। इसके बाद डोली मुखवा के लिए प्रस्थान कर गई। डोली रात्रि निवास चंडेश्वरी देवी मंदिर (मार्कंडेय मंदिर) में प्रवास करेगी
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