प्रकरण में समझौते के प्रयास के साथ ही नाबालिग के विवाह की तैयारियां चर्चाओं में।
(दीपक भारद्वाज सितारगंज)
सितारगंज। निकटवर्ती ग्राम नयागांव निवासी महिला ने कोतवाली पुलिस को तहरीर देकर ग्राम के ही दो लोगों पर अपनी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार व लंबे समय तक यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। नाबालिग की मां ने किशोरी के गर्भधारण करने की बात भी कही है। आम चर्चा है कि तहरीर के आधार पर बीते दिवस देर रात कोतवाली पुलिस ने एक नामजद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया परंतु अज्ञात कारणों के चलते गिरफ्तार किए गए नामजद आरोपी को अगले दिन रिहा कर दिया गया। शुक्रवार को पूरा दिन मामले में समझौते के प्रयास जारी रहे। चर्चाओं पर यदि विश्वास किया जाए तो नयागांव में घटी घटना में नाबालिग पीड़िता का निकाह कराने की बात भी सामने आई है। पुलिस को दी गई तहरीर में यौन शोषण व बलात्कार की शिकार नाबालिग किशोरी की मां ने बताया कि उसका सगा चचेरा देवर पिछले लंबे समय से उसकी 14 वर्षीय नाबालिग पुत्री को बहला-फुसलाकर उसके साथ यौन संबंध बना रहा था। एक दिन दोनों को उसकी ननंद के बेटे ने रंगे हाथों पकड़ लिया। आरोप है कि उक्त दूसरे युवक ने भी उसकी पुत्री को घर पर बताने की धमकी देकर उसके साथ जबरन बलात्कार किया। तब से दोनों युवक लंबे समय तक उसकी नाबालिग पुत्री के साथ दुराचार करते रहे। जिससे उसकी पुत्री ने गर्भ धारण कर लिया। उक्त लोगों के उत्पीड़न से परेशान होकर पुत्री ने सारा वाक्य अपनी मां को बता दिया। जिस पर मां ने दोनों आरोपियों के विरुद्ध कोतवाली में नामजद तहरीर देकर करवाई की मांग की। आम चर्चा है कि बीती देर रात्रि पुलिस ने एक नामजद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया परंतु अज्ञात कारणों के चलते उसे अगले दिन रिहा कर दिया गया। अब दोनों पक्षों के मध्य सुलह समझौते का प्रयास जारी हैं। मामले में एक युवक से नाबालिग पीड़िता के निकाह कराने की बात भी सामने आई है। हालांकि पुलिस ने मामले की पुष्टि नहीं की है,लेकिन मामले को लेकर क्षेत्र में तरह तरह की चर्चाएं आम हैं।
सितारगंज। नया गांव में घटी इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि कोतवाली से बाहर होने वाले समझौतों के कारण अपराधियों में कानून का भय समाप्त हो चुका है। नाबालिग से दुराचार व बाल विवाह जैसे अपराध खुलेआम होने के कारण लोगों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। कुछ समय पूर्व भी इसी तरह के मामले में गांव की पंचायत में नाबालिग से दुराचार करने वालों को आर्थिक दंड देकर बरी कर दिया था। जिससे क्षुब्ध नाबालिग किशोरी ने फांसी के फंदे पर झूल कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। जिसमें किशोरी की मृत्यु के बाद पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध पास्को एक्ट के तहत अभियोग पंजीकृत कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार तो कर लिया था परंतु सामाजिक कुरीतियों को बढ़ावा देने वाले सभी पंचायती साफ बच गए थे। कानून व्यवस्था की बागडोर संभालने वाले अधिकारियों को चाहिए कि मामलों की गंभीरता को देखते हुए इस तरह के निर्णय लिए जाएं जिससे अपराधियों व अपराधों को बढ़ावा देने वाले लोगों में कानून व्यवस्था का भय बना रहे।