मशरूम मिशन के जरिए पौड़ी में पलायन रोकने और रोजगार सृजन की अलख जगा रही है चमोली की बेटी सोनी बिष्ट…
आज से शरदीय नवरात्रि प्रराम्भ हो गये है। लीजिये आज नवरात्रि के पावन पर्व पर आपको पौडी को मशरूम सिटी बनाने का सपना लिए, पौडी से पलायन रोकने और रोजगार सृजन की उम्मीदों को पंख लगाती पौडी की पहाडी गर्ल सोनी बिष्ट रावत के बुलंद हौंसलों की दास्तान से रूबरू करवाते हैं…
चिपको वूमेन गौरा देवी से मिली प्रेरणा, बुआ ने दिया हौंसला, परिवार का मिला सहयोग…
— सोनी बिष्ट चमोली के जोशीमठ विकासखंड के रिंगी गांव की रहने वाली है। सोनी के माता पिताजी गांव में खेती करते हैं। उन्होंने अपनी बेटी को बेहतर शिक्षा देने के लिए हर समय प्रोत्साहित किया और हरसंभव सहयोग दिया। तीन महीने पहले ही सोनी की शादी पौडी के आदित्य पंवार रावत से हुई। अंग्रेजी विषय में एम ए की डिग्री प्राप्त सोनी वर्तमान में बीएड भी कर रही है। लेकिन सोनी का सपना हैं कि वो समाज के लिए कुछ कर सकें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका बैनिफिट्स मिल सके। गौरा देवी के चिपको आंदोलन से सोनी बहुत ज्यादा प्रभावित हुई। जबकि सोनी की बुआ उमा रौथाण नें एक गुरूमंत्र दिया की लडकियों को कभी भी अपने हाथों और पांवों को घरों की चाहरदीवारी तक बांधे नहीं रखना चाहिए। उन्हें भी हक है सपनों को देखने का और उन्हें हकीकत में बदलने का। इसलिए जीवन में कुछ ऐसा करना की लोग तुम्हारा अनुसरण करें। बुआ की कही बात सोनी के लिए लकीर बन गयी। बुआ नें सदैव सोनी को प्रोत्साहित किया और हौंसला दिया। जबकि शादी के बाद सोनी को ससुराल में भी पति और पूरे परिवार का हर कदम पर सहयोग मिल रहा है। परिणामस्वरूप सोनी के सपनों को उम्मीदों के पंख लग गये।
मायके से लेकर ससुराल तक महसूस की पलायन की पीड़ा, पलायन रोकने के लिए मशरूम को बनाया हथियार….
सोनी नें शादी से पहले मायके और शादी के बाद ससुराल में पलायन की पीड़ा को करीब से देखा और जाना है। सोनी का मायका चमोली जिले के जोशीमठ विकासखंड के रिंगी गांव में है। जो तपोवन नीती घाटी में बसा है। इस घाटी को देश की द्वितीय रक्षा पंक्ति भी कहा जाता है। यह घाटी आजादी के 70 साल बाद आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। रोजगार और बेहतर भविष्य के लिए लोगों नें इस घाटी से बडे पैमाने पर पलायन किया। सोनी नें पढ़ाई के दौरान पलायन के दर्द को बेहद करीब से महसूस किया है। जिस वजह से सोनी नें मन में पलायन को खत्म करने की ठान ली थी। 12 वी के बाद सोनी पौडी आ गयी और अपनी बुआ के यहाँ से आगे की पढ़ाई की। इस दौरान सोनी नें पौडी में भी पलायन के दर्द को महसूस किया। शादी के बाद पौडी सोनी का ससुराल बना। पलायन रोकने के लिए सोनी नें देहरादून में मशरूम बिटिया दिव्या रावत से मशरूम की ट्रेनिंग ली और इस साल ओयस्टर मशरूम उगाया।
— 300 बैगो में उगाया मशरूम, बाजार से मिल रही है काफी डिमांड, पौडी को बनायेंगी मशरूम सिटी…
सोनी नें अपने परिवार के सहयोग से घर के एक बडे हाॅलनुमा कमरे में ओयस्टर मशरूम के 300 बैग से अपने मशरूम मिशन की शुरुआत की। अब इन बैगो से तैयार मशरूम को वो बाजार में बेच चुकी है। जिससे सोनी काफी उत्साहित है। अब वो 200 बैगो में ओर मशरूम उगाने की सोच रही है। सबसे बड़ी खुशी सोनी के लिए बाजार से डिमाण्ड आना है। पहाडी गर्ल सोनी बिष्ट से मशरूम के संदर्भ में लंबी गुफ्तगु हुई। बकौल सोनी मेरा उद्देश्य है कि लोग गढवाल कमिश्नरी को मशरूम सिटी के रूप में पहचाने और मशरूम से लोगों को रोजगार के अवसर मिले। तब जाकर हम पलायन को रोकने में सफल हो पायेंगे।
लोगों को स्वालम्बी बनाना, रोजगार सृजन के जरिए पलायन रोकना मुख्य उद्देश्य— पहाडी गर्ल, सोनी बिष्ट
पलायन और रोजगार पर परिचर्चा करने पर सोनी कहती है कि पहाड़ का सबसे बड़ा दुर्भाग्य युवाओं का खुद पर भरोसा न करना है। मुझे दुःख होता है युवा 5 -5 हजार की नौकरी के लिए शहरों की ओर भाग रहे हैं जबकि पहाड़ में रोजगार सृजन की असीमित संभावनाएं हैं। ट्रैकिंग से लेकर स्वरोजगार के जरिए पहाडों में रोजगार उत्पन्न किया जा सकता है। मशरूम सबसे मुफीद व्यवसाय हो सकता है। लेकिन इसके लिए बाजार से मांग होना जरूरी है। पौडी में मैने पहले मशरूम के लिए मार्केट सर्वे किया। जिसमें लोगों से अच्छा रेस्पोंस मिला। तब जाकर खुद पर भरोसा किया और आज मशरूम की पहली फसल पौडी के बाजार में उपलब्ध है। मेरा सपना पौडी को मशरूम सिटी बनाना है और लोगों को इससे जोडना। ताकि लोग रोजगार के लिए महानगरों की जगह अपने गावों में रोजगार सृजन करें। इस दिशा में एक छोटा सा प्रयास शुरू किया है अभी मंजिल तो कोशों दूर हैं।
वास्तव में देखा जाए तो पलायन नें उत्तराखंड में खासतौर पर पहाड़ को खोखला कर दिया है। सबसे ज्यादा अल्मोड़ा और पौडी जनपद को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। 15 विकास खंड, 13 तहसील वाले इस जनपद में जनसंख्या बढने के बजाय कम हो रही है। पलायन आयोग की ताजा रिपोर्ट बताती है की अगर अभी पलायन रोकने के लिए कदम नही उठाये तो हालत बदतर हो सकते हैं। वो बात अलग है कि पलायन रोकने के लिए गठित पलायन आयोग भी कुछ दिनों बाद पौडी से खुद ही पलायन कर गया था। पूरे प्रदेश में लगभग 3 लाख 50 हजार से अधिक गांव वीरान पडे हैं। अकेले पौडी में 300 से अधिक गांव खाली हो गये हैं। पलायन करने में 43% आबादी उन युवाओं की हैं जिनकी आबादी 26- 35 है। ये एक सोचनीय प्रश्न है।
अब समय आ गया है कि हमें पहाडों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए धरातलीय प्रयास शुरू करने होंगे। बैंक से कर्ज लेकर पहाडी गर्ल सोनी बिष्ट रावत इस ओर एक प्रयास कर रही है। भले ही ये अभी एक छोटी सी कोशिश हो लेकिन सोनी के हौंसले और ज़िद पहाड़ जैसी है। उम्मीद की जानी चाहिए की आनें वाले समय में उनका ये प्रयास फलीभूत हो और पौडी मशरूम सिटी के लिए जाना जाय। लोगों को रोजगार के अवसर मिले और पलायन रूक सके। हमारी ओर से पहाडी गर्ल सोनी बिष्ट को उनके सराहनीय प्रयास के लिए ढेरों बधाइयाँ।