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पहले कूड़ेदान बाद में कन्यादान

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एक समय था जब पहाड़ों में दहेज प्रथा प्रचलित थी लोग अपनी बेटी को दहेज में या धन दौलत देते थे या सामान लेकिन आज समय बदल गया है।

हालांकि देश में दहेज प्रथा एक अपराध है लेकिन एक और प्रथा पहाड़ों में प्रचलित हो रही है जो कि इन दिनों काफी कारगर सिद्ध भी हो रही है जब से मोदी सरकार ने भारत देश में स्वच्छता अभियान चलाया है तब से लोगों में साफ सफाई का विशेष परिवर्तन देखा जा रहा है।

चमोली जिले में भोटिया जनजाति के लोगों ने पहले कूड़ेदान बाद में कन्यादान का एक अनोखा कार्यक्रम आरंभ किया है इस कार्यक्रम के तहत बेटियां अपने मायके से लेकर ससुराल तक सफाई अभियान चलाती है जिसमें इन लोगों को दहेज के रूप में कूड़ा दान दिया जाता है ।

चमोली जनपद में इस प्रकार की प्रभावशाली नीति ने सफाई के क्षेत्र में लोगों को काफी जागरूक किया है शादी बारात में भोटिया जनजाति के लोग अपनी बेटी को कूडा दान देकर उसे विदा करते हैं और इस कार्य में दूल्हा पक्ष की सराहना करते हैं

अगर देश में सफाई अभियान को कारगर साबित करना है तो इस प्रकार की योजनाएं बनाकर सरकार को भी इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को मदद करनी चाहिए ताकि देश में फैल रही गंदगी को साफ किया जा सके आज देश में दूल्हा-दुल्हन इस प्रकार की पहल कर रहे हैं जो की बहुत ही सराहनीय हैं
आज इसी कार्यक्रम के तहत जोशीमठ में
“मेरा गाँव-स्वच्छ गाँव” के सयोजक इं. भवानसिंह रावत ग्राम – परसारी (जोशीमठ) मे रश्मी सुपुत्री मदनसिंह पंवार व दीपक पुत्र को अजबसिंह रावत के विवाह मे मंगल स्नान के समय “कूडादान” भेट दे कर। सभी ग्रामीणो स्वच्छता की शपथ दिलाते हुए जागरूक किया। इं भवानसिंह रावत ने कहा- हम खाने पीने से लेकर टेंट, डीजे-वीडियोग्राफि की व्यवस्था तो कर लेते, लेकिन कूडादान स्वच्छता को भुल जाते। इसलिए ग्रामीणों को जब भी इस प्रकार का आयोजन हो। सबसे पहले स्वच्छता को प्रमुखता से ध्यान देगे।
इस अवसर पर श्रीमती लीला राणा,प्रिती,कलपेश्वरी देवी, प्रकाश, थानसिंह, चन्द्र सिह, नारायण सिंह आदि सभी ग्रामीण रहे।

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