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पांच भाई पांडव ने किया नव गंगा में स्नान

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जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में आयोजित पांडव नृत्य के दौरान आज पांडवों ने जोशीमठ के नोग गांव और ड़ाड़ो गांव में भक्तों को दर्शन दिए

इस दौरान नव गंगा पहुंचकर पांडवों ने स्नान कर अपने पितरों को तर्पण दिया ।
गांव के लोगों ने पांडवों का भव्य स्वागत फूल मालाओं के साथ किया दरसल पौस मास के इन दिनों में भगवान शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ में पांडव नृत्य का आयोजन किया जा रहा है।
पांडव नृत्य को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंच रहे हैं वहीं मनुष्यों पर अवतार लेकर पांडव ढोल दमाऊ की 18 तालों पर नृत्य करते हैं
अलकनंदा घाटी के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में गांव की खुशहाली के लिए पांडव नृत्य का हर वर्ष अलग अलग विधि विधान के साथ नृत्य किया जाता है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं इसी क्रम में दिन-रात पांडव नृत्य का आयोजन होता है जिसमें मुख्य रूप से अर्जुन, युधिष्टर, भीम, माता कुंती, द्रोपदी , सुभद्रा, भगवान श्री कृष्ण हनुमान, नागार्जुन आदि पांच भाई पांडव होते हैं और अपने अपने भक्तों को दर्शन देते हैं
एक मान्यता यह है कि कौरव और पांडवों के युद्ध में पांडवों को यह श्राप मिला कि उन्होंने अपने भाई और बंधुओं का वध किया है जिसके बाद पांडवों पर ब्रह्म हत्या का श्राम लगा।
पांच भाई पांडव ब्रह्मा के पास गए ब्रह्मा ने पांचों भाई पांडवों को भगवान शिव की आराधना करने के लिए कहा लेकिन भगवान शिव ने पांच पांडव को दर्शन नहीं दिए जिसके बाद पांडवों ने भगवान शिव का पीछा करते हुए उन्हें उत्तराखंड से लेकर नेपाल के तमाम धामों में दर्शन देने की प्रार्थना की। पर भगवान शिव ने अनेक रूप रख कर अपने को अदृश्य ही रखा ।
मान्यता यह है कि जोशीमठ से होते हुए पाडुकेश्वर बद्रीनाथ धाम और उसके बाद पांच भाई पांडव सतोपंथ के रास्ते स्वर्ग लोग गए लेकिन रास्ते में ही सभी पांडव भाइयों ने अपना शरीर त्याग दिया। और केवल धर्मराज युधिष्ठिर ही सतोपंथ के रास्ते स्वर्ग गए इसलिए अशांत आत्मा के भाई पांच पांडव अब मनुष्यों पर अवतार लेकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं जोशीमठ में देव पूजा समिति हर दो वर्ष में पांडव नृत्य का आयोजन करवाते हैं जिसमें बद्रीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, उमेश सती, विजय डिमरी, भगवती प्रसाद ,ऋषि प्रसाद सती, कमल रतूडी, आदित्य भूषण सती,भोला दत्त नामण, गौरव नम्बूरी सतीश भट्ट, राकेश सती, प्रकाश चंद्र कपरवाण, भगवती प्रसाद कपरवाण , पंडित सूरज सकलानी, रंजना शर्मा, बसंती देवी, भवानी देवी, आदि अपना सहयोग देते हैं

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