जोशीमठ शहर को बचाना है तो सेमा गांव को बचाओ सरकार
जोशीमठ नगर पालिका के अंतर्गत आने वाला सेमा गांव इन दिनों भारी भू ध्साव से जूझ रहा है यहां के 12 से 15 परिवार हर दिन भू ध्साव की मार झेल रहे हैं ।
जोशीमठ व नगरपालिका क्षेत्र का सेमा गांव अलकनंदा के तट पर बसा है जहां एक और अलकनंदा का तट इस गांव की भूमि को अपनी और बहा रहा है तो वहीं और औली से बहने वाला नाला इस गांव के चारों तरफ भारी मात्रा में कटान कर रहा है वही सामने से बार-बार हाथी पहाड़ के टूटने से गांव की मकानों पर भारी मात्रा में दरार पड़ रही है वहीं कृषि योग्य भूमि हर दिन नदी की तरफ समा रही है गांव के निवासी सूरज सकलानी की मानें तो उनके गांव में 10 से 15 परिवार निवास करते थे लेकिन आज गांव में एक ही बुजुर्ग है जो कि गांव में रहता है साथ ही अन्य लोग गांव को छोड़कर इधर-उधर बस गए हैं
वही गांव के निवासी कुशलानंद सकलानी की मानें तो गांव के चारों तरफ हर दिन कटाव होता है और गांव की कृषि भूमि पर दरारें पड़ रही हैं मकाने टूट चुकी है पर यहा आज तक शासन प्रशासन से लेकर कोई भी जनप्रतिनिधि गांव वालों की सुध लेने नहीं आया है
सरकार एक और जहां पलायन रोकने की बात करती है वहीं अगर इस प्रकार से शासन प्रशासन के द्वारा हर गांव में लापरवाही की जाएगी तो पहाड़ों से हो रहे पलायन को किस प्रकार से रोका जाएगा गांव में सैकड़ों नाली कृषि योग्य भूमि भू ध्साव की चपेट में आकर बर्बाद हो रही है साथ ही फलदार वृक्ष भी भू कटाव के चलते जमी दोस हो रहे हैं लेकिन इस और शासन प्रशासन का कोई ध्यान नही है
जोशीमठ के उप जिला अधिकारी योगेंद्र सिंह का कहना है अलकनंदा पर बसे कई गांव को बचाने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा कार्य किया जा रहा है। लेकिन कुछ गांव आज भी सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक जोन में आते हैं एसडीएम जोशीमठ ने बताया कि लामबगड, पांडुकेश्वर और सेमा गांव आपदा के बाद से काफी खतरनाक स्थिति मे है और यहा पर जल्द ही सुरक्षा दीवार का काम किया जायेगा