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जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने पीडीपी से लिया समर्थन वापस, महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा  

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जम्‍मू-कश्‍मीर। जम्‍मू-कश्‍मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी का तीन साल पुराना गठबंधन टूट गया है। बीजेपी ने मेहबूबा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।बीजेपी के ऐलान के बाद महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल एनएन वोहरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। वहीं भाजपा के सभी मंत्रियों ने मंगलवार को इस्तीफे दे दिए। भाजपा ने अब राज्यपाल से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने की मांग की है।
दरअसल में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज ही दिल्ली में राज्य के सभी बड़े पार्टी नेताओं के साथ बैठक की जिसके बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है। भाजपा जम्‍मू-कश्‍मीर प्रभारी राम माधव ने इस बात की जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि हमने सबकी सहमति से आज यह निर्णय लिया है कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा अपनी भागीदारी को वापस लेगी। 87 सीटों वाली जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा में भाजपा के पास 25 सीट और पीडीपी के पास 28 सीटें हैं। महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्‍तीफा राज्‍यपाल नरेंद्र नाथ वोहरा को सौंप दिया है। राज्य सरकार के प्रवक्ता और सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर ने महबूबा मुफ्ती द्वारा इस्तीफा दिए जाने की पुष्टि की है।
बीजेपी नेता राममाधव ने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर सरकार बनी थी, उन सभी बातों पर चर्चा हुई। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में स्थिति काफी बिगड़ी है, ‘हम खंडित जनादेश में साथ आए थे। लेकिन मौजूदा समय के आकलन के बाद इस सरकार को चलाना मुश्किल हो गया था। जिसके कारण हमें ये फैसला लेना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, अमित शाह, राज्य नेतृत्व सभी से बात की है। सरकार के दो मुख्य लक्ष्य थे, जिसमें शांति और विकास सबसे अहम हिस्सा था। तीनों हिस्सों में विकास करना था, इसके लिए हमने गंठबंधन किया था, पर आज जो परिस्थिति बनी है, उसमे एक भारी मात्रा में कश्मीर घाटी में आतंकवाद बढ़ गया है। रेडिकलाइजेशन तेजी से आगे बढ़ रहा है।पत्रकार शुजात बुखारी की श्रीनगर शहर में हत्या होने से घाटी में फंडामेंटल राइट्स खतरे में आ रहे है।उन्होंने कहा कि जहां तक केंद्र सरकार का रोल है, केंद्र ने तीन साल तक राज्य को पूरी मदद की। कई सारे प्रोजेक्ट भी लागू किए गएउन्होंने कहा कि हमने शांति स्थापित करने के लिए ही रमजान महीने में सीजफायर लागू किया था, लेकिन उसमें भी शांति स्थापित नहीं हो पाई। हालात बिगड़ते जा रहे थे।
भाजपा के इस फैसले से हैरानी
वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा,”पीडीपी के साथ कांग्रेस के सरकार बनाने का सवाल ही नहीं उठता। हम पीडीपी को समर्थन नहीं देंगे। लेकिन भाजपा पीडीपी सरकार के सिर पर सब तोहमत लगाकर भाग नहीं सकती है। इस सरकार में सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए। सबसे ज्यादा आतंकी हमले हुए और सीजफायर वॉयलेशन हुआ।” पीडीपी नेता रफी अहमद मीर ने कहा, ”भाजपा के इस फैसले से हमें हैरानी हुई है। हमें इस तरह के कोई संकेत नहीं मिले थे।” वहीं, राज्य में 15 सीटों वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘‘ये भी गुजर गया।’’

महबूबा ने गिनाईं उपलब्धियां
महबूबा ने कहा कि सरकार के जरिये उन्होंने कश्मीर में अपना एजेंडा लागू करवाने में सफल रही हैं।महबूबा का कहना है कि कश्मीर के लोगों से बातचीत होनी चाहिए, पाकिस्तान से बातचीत होनी चाहिए, ये उनकी हमेशा से कोशिश रही। अपनी उपलब्धियां गिनाती हुईं महबूबा ने कहा, ‘370 को लेकर डरे हुए थे उसको लेकर हम डटे रहे। 11 हजार लोगों के खिलाफ जो केस दर्ज हुआ था उसे वापस लिया गया।’ यही नहीं, महबूबा की मानें तो उनकी सफल नीति की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान भी गए।

बहुमत का आंकड़ा
बता दें कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा की कुल 89 सीटों हैं जिनमें बहुमत का आंकड़ा 44 सीट है। पिछले चुनाव में पीडीपी ने 28 सीटों पर अपनी जीत दर्ज की थी, वहीं बीजेपी के पास 25 सीटें हैं। और दोनों ही दलों ने मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी। वहीं विपक्ष की बात करें तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पिछले चुनाव में 15 सीटें जीती थीं, कांग्रेस को 12 और अन्य के खाते में 9 सीटें हैं।

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