Home उत्तराखण्ड 14वीं कुरआन लेख कला प्रदर्शनी, गढ़वाली व कुमाऊंनी भाषा में हुआ अनुवाद

14वीं कुरआन लेख कला प्रदर्शनी, गढ़वाली व कुमाऊंनी भाषा में हुआ अनुवाद

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देहरादून। तस्मिया आॅल इंडिया एजुकेशनल एण्ड सोशल वेलफेयर सोसाइटी की ओर से 2-ए, टर्नर रोड क्लेमेन्टाउन पर आयोजित दो-दिवसीय प्रदर्शनी का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि वित एवं आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने किया।
इस मौके पर प्रदेश की महिला विकास मंत्री रेखा आर्या भी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहीं।
प्रदर्शनी की शुरूआत क़ारी शमसाद ने पवित्र कुरआन की तिलावत से की। इस अवसर पर ब्रिगेडियर के0 जी0 बहल, डा0 अरूण कुमार तथा अन्य गणमान व्यक्ति मौजुद रहे। मुख्य अतिथि प्रकाश पंत ने बताया कि ये अपनी तरह की पहली प्रदर्शनी मैं ने देखी है। ये अन्मोल है। कुरआन सच्चा मार्गदर्शक है तथा भाईचारे का संदेश देता है। राजधानी में शनिवार से शुरू हुई
पवित्र कुरआन लेख कला के दपर्ण में
प्रदर्शनी का उद्देश्य यह है कि मुस्लिमों के साथ साथ अन्य सभी धर्मों के अनुयायी भी जान सकें कि कुरआन का पैगाम क्या है। जात-बिरादरी जैसी संकीर्णताओं के लिये इंसानियत के बीच कोई जगह नहीं है।

प्रदर्शनी में
एक सफे (पेज) से लेकर 1269 सफे (पेज) तक का पवित्र कुरआन,
दो ग्राम का कुरआन,
60 पेज वाला लकड़ी का कुरआन जिस के एक पेज का वज़न चार कि0ग्रा0 से अधिक है जिस का कुल वजन 2400 किलो ग्राम है मौजूद है।
इसके अलावा खाल, पत्थर, शीशा, कपड़े, लकड़ी, सोना, चांदी गिलाफ़-ए-काबा एवं दीगर (अन्य) धातुओं पर भी कुरआन की आयतें प्रदर्शनी में मौजूद हैं।
मुगल बादशाह औरगंजेब से लेकर इराक के बादशाह सद्दाम हुसैन सहित मलेशिया, कुवैत, ईरान आदि मुल्कों के बादशाहों द्वारा लिखे व छपवाये गए कुरआन का यहां दीदार किया जा सकता है।
पीतल के पतरों पर लिखा कुरआन भी प्रदर्शन के लिये रखा गया है। प्रदर्शनी के संयोजक वरिष्ठ समाजसेवी डा0 एस0 फारूख के अनुसार तस्मिया कुरआन लाइबे्ररी की प्रदर्शनी में साढे सात सौ साल से लेकर तीन सौ साल तक का कुरआन छपे हुए और हाथ से लिखे हुए इसी तरह हर लाईन अलिफ, वाव, और याय से शुरू होने वाला कुरआन एवं हर लाईन शब्द अल्लाह से शुरू होने वाला कुरआन एवं 41 ज़बान में जिस में गढ़वाली, कुमाउनी एवं संसकृत में भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि वर्षों पहले कुरआन-ए-करीम का ऐसा शौक पैदा हुआ कि ये एक पूरा संग्रह ही बन गया। डा0 एस0 फारूख ने बताया कि पवित्र कुरआन चौदह सौ उनतालिस साल पहले नाजिल हुआ था और आज भी उसी तरह है, जैसे तब था। इस मौके पर श्री0 आर0 के0 बखशी, डा0 आदित्य आर्य, श्री आर0 के0 मेहता, डा0 आइ0 पी0 सक्सेना, सय्यद हारून अहमद, फर्रूख अहमद, सय्यद फैसल अहमद, सय्यद यासर, मुफ्ती वसीउल्लाह, जहांगीर अहमद आदि मौजूद थे।

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