देहरादून। उत्तराखंड में जहां गंगा यमुना जैसी बड़ी-बड़ी नादियों का उद्गम स्थल है साथ ही अन्य नदियों झरनों की भी कोई गिनती नहीं साथ ही उत्तराखंड से पूरे देश की जल आपूर्ति होती है। वही पेयजल को लेकर इतनी बड़ी किल्लत सामने आना बड़ी चिंता का विषय है, और यह किल्लत कुछ योजनाओ की वजह स आ रही है। यह हम नहीं कह रहे है बल्कि रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है। उत्तराखंड जल संस्थान की सर्वे रिपोर्ट इसे तस्दीक करती है। इसके मुताबिक पिछले तीन सालों में राज्य में जल संस्थान के अधीन संचालित 500 योजनाओं के स्रोतों में जलस्रोत 50 से 100 फीसद तक घटा है। इनमें 93 योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें पानी की उपलब्धता में 90 फीसद से अधिक की कमी दर्ज की गई है।
दरअसल गर्मियों में होने वाले पेयजल संकट को मद्देनजर रख शासन ने जल संस्थान से उसके अधीन संचालित योजनाओं में पानी की उपलब्धता से संबंधित रिपोर्ट मांगी। जिससे यह बड़ा खुला हुआ है। संस्थान ने पिछले तीन सालों में ऐसी योजनाओं का सर्वे कराया, जिनके स्रोतों में पानी की उपलब्धता 50 फीसद से कम हुई है। शासन को भेजी गई इस सर्वे रिपोर्ट में चैंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। पौड़ी, टिहरी, चंपावत व अल्मोड़ा ऐसे जनपदों में शुमार हैं, जहां पेयजल योजनाओं में सबसे अधिक जलश्राव कम हुआ है। ऐसे में वहां पानी के लिए हाहाकार मच सकता है।
उत्तराखंड जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक एसके गुप्ता के अनुसार 500 पेयजल योजनाओं के जलस्रोतों में पानी की मात्रा घटने से आने वाले दिनों में परेशानी होना स्वाभाविक है। उन्होंने बताया कि जलस्रोतों के संवर्द्धन के मद्देनजर शासन स्तर पर विभिन्न विभागों से कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार पांच सौ पेयजल योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें विभिन्न कारणों के चलते जलश्राव घटा है। कहीं सड़क समेत दूसरे निर्माण कार्यों के कारण जलस्रोत दब गए तो कहीं ये सूख चुके या फिर सूखने के कगार पर हैं। रिपोर्ट पर गौर करें तो 93 योजनाएं तो महज उपस्थिति दर्ज कराने तक सिमट गई हैं। इनमें पानी की उपलब्धता में 90 फीसद तक की कमी आई है। शेष 407 योजनाओं में जलश्राव 50 से 90 फीसद तक घटा है।पौड़ी जिले में सर्वाधिक 185 योजनाओं के जलस्रोत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। टिहरी में 89, चंपावत में 54 और अल्मोड़ा जिले में 46 योजनाओं के स्रोत में पानी घटा है। ऐसे में वहां गर्मियों में दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
राज्य में 93 पेयजल योजनाओं में पानी की कमी 90 फीसद से अधिक हो रही है। साथ ही 268 योजनाओं में 75 से 90 फीसद तक पानी घट चूका है। आपको बता दे की 139 योजनाएं ऐसी है जिनमें जलश्राव 50 से 75 फीसद तक कम है। जो एक बड़ी चिंता का विषय हिअ यदि ऐसा ही रहा तो जलसोत्रों का गड कहे जाने वाले उत्तराखंड में सूखा पड़ जाएगा। आम जाने पानी के लिए तरसेंगे।
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